हाजरात प्रयोग क्या है




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गोपाल राजू
रूड़की – २४७ ६६७ (उत्तराखंड)


     सम्भवतः हाजरात शब्द आपके कानों में न पड़ा हो। परन्तु एक समय था जब पलेंचित की तरह हाजरात का खूब चलन था। वह भी आठ-नौ वर्ष की आयु से छोटे बच्चों के माध्यम से। यह एक मुस्लिम प्रयोग है। इसमें सब कुछ निर्भर करता है किसी छोटे से निर्विकार मन वाले बच्चे पर। देखने-सुनने में यह हास्यप्रद लगेगा, पूरी तरह से एक अंधविश्वास। परन्तु व्यवहारिक रूप में जब देखेंगे तो यह पाएंगे कि इसमें कुछ न कुछ प्रतिशत सत्य का अंश है अवश्य। अगर मेरी व्यक्तिगत जानकारी पूछेंगे तब मैं तो यही कहूँगा कि यह मात्र अंधविश्वास ही है। तथापि् इस उद्देश्य से दे रहा हूँ कि गुह्य जगत की कोई भी विधा मेरे लिखने से अछूती न रहे।
    कोई भी इसको सरलता से कर सकता है। इसका सूक्ष्म परिचय जिज्ञासुओं की जिज्ञासा दूर करने के लिए दे रहा हूँ।
21 दिन तक आधीरात के बाद किसी अक़ीक की माला से निम्न मंत्र की एक माला जप करें। जप के समय अपना मुँह पश्चिम दिशा की ओर रखें। माला के मनके उल्टे रूप में फेरें। अर्थात् करतल में मध्यमा उँगली से उल्टे फेरने के स्थान पर अगूँठे से करतल से बाहर की ओर मनका खिसकाएं। इस प्रकार यह मंत्र आपका सिद्ध हो जाएगा।
मंत्र -
''ख़्वाजा खिज्र जिन्द पीर मैदर मादर दस्तगीर मदत मेरा पीरान पीर। करो घोड़े पर भीड़। चढ़ो हज़रत पीर। हाज़र सो हाजर।''
    जिस दिन किसी व्यक्ति के किसी कार्य के प्रश्न के उत्तर अथवा उसके निदान के लिए उपाय तलाशना हो उस दिन सबसे पहले एक छोटे बच्चे को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करिए कि वह शान्त चित्त होकर सीधा बैठ जाए और आपकी बातों में पूरी तरह से अपना मन लगाए।
   अब बच्चे को किसी शान्त से स्थान में बैठा दें। उसके दायें हाथ के अंगूठे में काली चमकदार स्याही या अच्छा हो काजल लगाएं, जिससे की नाखून की सतह चमकीली हो जाए। बच्चे को कहें कि वह अपना सब ध्यान नाखून पर टिका दे। उससे पूछें,
'' तुम्हे कुछ दिखाई दे रहा है ?''
वह अगर कहे 'नहीं'। तो पुनः दोहराएं, ''ध्यान से देखों तुम्हें दिखाई देगा''
''अब देखो बाग दिखाई देगा। बाग में आदमी हैं। वह दिख रहे हैं ?''
एक स्थिति ऐसी आएगी बच्चा बोलेगा,
''हाँ, आदमी दिख रहे हैं''
''उनसे कहो झाडू लगाकर जगह साफ करें। और छिड़काव करके आसन बिछाएं। अब देखो पीरान पीर साहब आकर आसन पर ठाठ से बैठ गए हैं।''
बच्चा निरंतर हामी भरता रहेगा। मानो सब कुछ साक्षात् उसको अपने अगूंठे में दिखाई दे रहा है।
अब बच्चे के माध्यम से प्रश्न कर्त्ता के प्रश्न और उससे सम्बन्धित उपाय के विषय में बच्चे से प्रश्न करें। एक बार में प्रत्युतर न मिले तो पुनः पुनः वह दोहराते रहें।
'' पीर साहब से प्रश्न करो। देखो वह क्या उत्तर देते हैं। अगर बोल न रहे हों तो उनसे कहो कि वह मूक भाषा में सिर हिलाकर  अथवा अन्य सांकेतिक ईशारे से अपना जवाब हाज़िर करें''
    बच्चे के माध्यम से इस प्रकार अनेकों प्रश्नों के उत्तर अथवा समाधान आपको पीर साहब द्वारा मिलते रहेंगे। इसमें बच्चे का संयम से एकाग्र होकर बैठना बहुत आवश्यक है। क्योंकि एक प्रश्न को कई-कई बार दोहराना पड़ेगा तब कहीं जाकर बच्चे को उसका उत्तर मिलेगा। यह स्वभाविक है कि चंचल मन बच्चा लगातार इन बातों से ऊब जाएगा। ऐसे में उसको धैर्य से बस बैठाकर इसी प्रकार से तब तक प्रश्न करते रहना पड़ेगा जब तक पूरी सन्तुष्टी से उत्तर न मिल जाए।
    जब कार्य पूर्ण हो जाए तब बच्चे से कहलवाएं,
''आपका शुक्रिया पीर साहब। अब आप जहाँ से आए थे वहाँ पुनः चले जाएं। आपका शुक्रिया।''

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